भारतीय संविधान का इतिहास
भारतीय संविधान का इतिहास

भारतीय संविधान का इतिहास की प्रष्टभूमि

भारत में ब्रिटिश 1600 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी के रूप में, व्यापार करने आये थे। के विस्तृत अधिकार महारानी एलिजाबेथ प्रथम के चार्टर द्वारा उन्हें भारत में व्‍यापार करने का कार्य सौपा गया था। जो अभी तक सिर्फ व्‍यापारिक कार्य तक ही सीमित थी,। 1765 में मुगल बादशाहद आलमशाह ने बंगाल, बिहार और उडीसा के दीवानी (अर्थात राजस्व एवं दीवानी न्याय के अधिकार) दे दिये।

इसके पश्‍चात कंपनी के भारत में क्षेत्रिय शक्ति बनने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। 1858 में, ‘सिपाही विद्रोह’ के परिणामस्वरूप ब्रिटिश ताज (Crown) ने भारत के शासन का उत्तरदायित्व प्रत्यक्षत: अपने हाथों में ले लिया। यह शासन 15 अगस्त,1947 में भारत की स्वतंत्रता प्राप्ति तक अनवरत रूप से जारी रहा। स्वतंत्रता मिलने के साथ ही भारत के लिए एक संविधान की आवश्यकता महसूस हुई।

यहां इसको अमल में लाने के लिए पूर्व ही  भारतीय संविधान सभा का गठन 6 दिसंबर, 1946 को कैबिनेट मिशन (1946) योजना के तहत हुआ था. इसके लिए जुलाई 1946 में चुनाव हुए थे. संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को संविधान सभागृह (आज का संसद भवन सेंट्रल हॉल) में हुई थी. इस बैठक में केवल 211 सदस्यों ने हिस्सा लिया था. डॉ. सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी अध्यक्ष चुना गया था. बाद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष और डॉ. एच.सी. मुखर्जी तथा टी. टी. कृष्णामचारी सभा के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए.
संविधान सभा ने 13 दिसंबर, 1946 को औपचारिक रूप से भारत के संविधान को तैयार करने का अपना कार्य शुरू किया. जवाहरलाल नेहरू ने उद्देश्य प्रस्ताव पेश किया, जिसका उद्देश्य भारत को एक स्वतंत्र संप्रभु गणराज्य घोषित करना और इसके भविष्य को नियंत्रित करने के लिए एक संविधान बनाना था. 26 नवंबर, 1949 को संविधान सभा ने भारतीय संविधान को स्वीकार किया और उसके कुछ धाराओं को लागू भी किया गया. 26 जनवरी, 1950 को संविधान प्रभावी हुआ (गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया गया).
भारत और पाकिस्तान के बीच विभाजन के कारण, 3 जून, 1947 को पाकिस्तान की एक अलग संविधान सभा का गठन किया गया. इस पुनर्गठन के बाद संविधान सभा के कुल सदस्य 299 थे और उन्होंने भारत का संविधान बनाया. इस प्रकार 26 जनवरी, 1950 को संविधान अस्तित्व में आया।

यद्यपि संविधान और राजव्यवस्था की अनेक विशेषताएं ब्रिटिश शासन से ग्रहण की गयी तथापि ब्रिटिश शासन में कुछ घटनाएं ऐसी थीं, जिनके कारण ब्रिटिश शासित भारत में सरकार और प्रशासन की विधिक रूपरेखा निर्मित की गई। इन घटनाओं ने हमारे संविधान और राजतंत्र पर गहरा प्रभाव छोड़ा। उनके बारे में विस्तृत व्याख्या दो शीर्षकों के अंतर्गत काल क्रमबद्ध रूप से यहां दी गयी है:-

  1. कम्पनी का शासन (1773-1858)

  2. सम्राट का शासन (1858-1947)

जारी है …………………..

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